Poetry

Nav Prabhat Hindi Poetry for motivation

 Hindi Poetry for motivation




प्रेरणादायक  हिंदी कविता


नव प्रभात





रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है
चाहे कितने भी बादल
घिरे हो
सूरज की किरणें बिखर
ही जाती हैं

अंत कैसा भी हो
कभी घबराना नहीं
क्योंकि सूर्यास्त का मंज़र
देख कर भी
लोगो के मुँह से
वाह निकल ही जाती है
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

अगर नया अध्याय  लिखना हो
तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है
पत्थर को तराशने में
थोड़ा  प्रहार सहना पड़ता है
सही आकर ले कर ही
वो बेशकीमती बन पाती है
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

बस हौसला रखना
लोग तो तुम्हारी गलतियां
निकालेंगे ही
ये समय ही ऐसा है ,
सही मानो में अपनों की
परख हो ही जाती है
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

अपनी कोशिशें जारी रखना
वो समय आएगा फिर ज़रूर
जब लोगों की नज़रें नव प्रभात
देख कर झुक ही  जाती हैं
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

अपने हालतों से बस
एक सीख याद रखना
तू आज जैसा है , वैसा
ही रहना
वो इंसान ही क्या
जिसकी शख्सियत, किसी का वख्त
देख कर बदल जाती है
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

अपनी जीवन परीक्षा देख कर
कभी सोचना नहीं
के तू ही क्यों?
उस ऊपर वाले के यहाँ भी
औकात देख कर परेशानियां
बख्शी जाती हैं
रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है

रात कितनी भी घनी हो
सुबह हो ही जाती है
चाहे कितने भी बादल
घिरे हो
सूरज की किरणें बिखर
ही जाती हैं



 अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 






Nav Prabhat Hindi Poetry for motivation Nav Prabhat  Hindi Poetry for motivation  Reviewed by Archana7p on November 13, 2019 Rating: 5

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