Poetry

Dunddh Hindi poetry on Love

Hindi poetry on Love


 प्रेम पर आधारित हिंदी कविता



धुंध 



तुझ में उलझा  हूँ इस कदर के
अब कुछ भी सुलझता नहीं
हर तरफ एक धुंध सी है
जो तेरे जाते
कदमो से उठी है
इसमें जीने की घुटन
को मैं बयां कर सकता नहीं


हर जरिया बंद कर दिया
तुझ तक पहुंचने का
पर एक तेरे ख्याल
को  कोई दरवाज़ा
रोक पाता  नहीं

मैं जानता  हूँ के तू
न आएगा अब कभी
मेरा हाल भी  पूछने को
फिर भी
तेरी इस बेतकल्लुफी
पर  यकीन आता नहीं

बहुत कोशिशें भी की
दिल को बहलाने की ,
नए बहानों से
पर कोई बहाना
एक उम्र तक कारगर
होता नज़र आता नहीं

रखता हूँ खुद को
मसरूफ  बहुत
तुझको भुलाने के लिए
थक के सोता हूँ  जब
नींदो में भी तेरा आना जाना
थमता नहीं

सुना है के ,कीमती चीज़ों से
सजा रखीं है
तुमने अपनी दुनिया
पर जो हमने तुम पे खर्च
किया वो अब भी कही बिकता नहीं

मैं हर लम्हा तुझको
ही  जीता था
अब कतरा कतरा
मरता हूँ
तू  एक बार में ये
सिलसिला भी ख़त्म कर
के अब  बर्दाश्त होता  नहीं

कुछ खवाब जो कांच से
नाज़ुक थे
हर तरफ टूट कर बिखर गए
बहुत चाहा के तेरा जिक्र
भी न आये लबों पर
पर मेरा ये ख्वाब भी
पूरा होता दिखता नहीं

एक चीर सी पड़ गई है दिल पे
ये फलसफा तुझसे मिलेगा
ये कभी सोचा नहीं ...



अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 











Dunddh Hindi poetry on Love  Dunddh Hindi poetry on Love Reviewed by Archana7p on November 25, 2019 Rating: 5

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