Poetry

Ishq Ka Vishpan Hindi Poetry on eternal love and devotion

Hindi Poetry on eternal love


शाश्वत प्रेम और भक्ति पर हिंदी कविता


इश्क़ का विषपान







जब से इश्क़ का विषपान किया
मैं पूर्ण खुद को पाती हूँ
कितना भी कड़वा हो ये विष इसे पी कर
मैं श्री शंकर सी मलंग रहना  चाहती हूँ

मैं बस तेरा ध्यान लगाए हुए
सिर्फ तेरी धुन में रहती  हूँ
तू मुझ में बसा कस्तूरी की तरह
फिर भी तुझको ढूँढा करती हूँ
तू यहीं कही है  मेरा पास
ऐसे जाने कितनी मृग तृष्णा पार करती हूँ
जब से इश्क़ का विषपान किया
मैं पूर्ण खुद को पाती हूँ

ये सुलग़ता  इश्क़ जब से तन पर लगाया है
कोई और श्रिंगार तुम बिन न मन को भाया है
इसकी भस्म को तन पर रमा के
तेरी खुशबू सी महक जाती हूँ
अब किसी और इत्र का क्या साथ करूँ
जब सिर्फ तेरी तिशनगी में खुद को डूबा पाती हूँ
जब से इश्क़ का विषपान किया
मैं पूर्ण खुद को पाती हूँ

मुझे न चिंता तुम्हे भुलाने की
न किसी व्यसन की लत लगाने की
तेरा इश्क़ ही काफी है
अब इस पर कोई और नशा चढ़ता नहीं
अब रोज़ इसका दो कश लगाती हूँ
और तुम्हारी यादों  से खुद को खींच
ज़िन्दगी की और बढ़ती जाती हूँ
जब से इश्क़ का विषपान किया
मैं पूर्ण खुद को पाती हूँ

इश्क़ न आसान था उनके लिए
जिनकी भक्ति  हम करते हैं
राधा-कृष्ण को ही देख लो
 जिनकी उपासना सब करते हैं
दोनों अलग हो के भी साथ हैं
युगों युगांतर के लिए
सीता माँ की विरह वेदना
श्री राम को भी तो सताती होगी
जब "सती" हो गई  माँ सती  अग्नि में
तो श्री शिव को भी पीड़ा हुई होगी
जब ईश्वर ही न बच सके
विधि के विधान से
तो हमारी क्या हस्ती है
यहीं सोच मैं मंद मंद मुस्काती हूँ
जब से इश्क़ का विषपान किया
मैं पूर्ण खुद को पाती हूँ
कितना भी कड़वा हो ये विष इसे पी कर
मैं श्री शंकर सी मलंग रहना  चाहती हूँ


अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 




Ishq Ka Vishpan Hindi Poetry on eternal love and devotion Ishq Ka Vishpan  Hindi Poetry on eternal love and devotion Reviewed by Archana7p on September 20, 2019 Rating: 5

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