हिंदी कविता आज के जीवन पर
कलयुग
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
हंस चुगेगा दाना तुनका
कौवा मोती खायेगा
जहाँ माँ के प्रेम की पराकाष्ठा
भ्रूण परिक्षण तय करवाएगा
और वंश बढ़ाने की खातिर
बेटी का गाला घोंटा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
जहां हुनर जी तोड़ मेहनत कर भी
सिर्फ दो निवाले जुटा पायेगा
और कोई कपूत राज कुंवर
वंशानुगत सम्पति पायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
जहाँ प्रेम निस्वार्थ न होगा
दिल बहलाने का सामान समझा जायेगा
और किसी के बरसों का समर्पण
कोई पल में ठुकरा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
कलयुग में धर्म और नेकी का नाम तो होगा
पर बहुत विरले ही पाया जायेगा
जो धर्म की राह पर चलेगा
उसे पागल समझा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा...
अर्चना की रचना "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास"
हंस चुगेगा दाना तुनका
कौवा मोती खायेगा
जहाँ माँ के प्रेम की पराकाष्ठा
भ्रूण परिक्षण तय करवाएगा
और वंश बढ़ाने की खातिर
बेटी का गाला घोंटा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
जहां हुनर जी तोड़ मेहनत कर भी
सिर्फ दो निवाले जुटा पायेगा
और कोई कपूत राज कुंवर
वंशानुगत सम्पति पायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
जहाँ प्रेम निस्वार्थ न होगा
दिल बहलाने का सामान समझा जायेगा
और किसी के बरसों का समर्पण
कोई पल में ठुकरा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
कलयुग में धर्म और नेकी का नाम तो होगा
पर बहुत विरले ही पाया जायेगा
जो धर्म की राह पर चलेगा
उसे पागल समझा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा...
अर्चना की रचना "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास"
Kalyug Hindi poetry On today's Life
Reviewed by Archana7p
on
September 18, 2019
Rating:
Nyc kavita
ReplyDeletethank you
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