Poetry

Kalyug Hindi poetry On today's Life

Hindi poetry On today's Life


हिंदी कविता आज के जीवन पर


कलयुग



राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
हंस चुगेगा दाना तुनका
कौवा मोती खायेगा


जहाँ माँ के प्रेम की पराकाष्ठा
भ्रूण  परिक्षण तय करवाएगा
और वंश बढ़ाने की खातिर
बेटी का गाला घोंटा  जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा

जहां हुनर जी तोड़ मेहनत कर भी
सिर्फ दो निवाले जुटा पायेगा
और कोई कपूत राज कुंवर
वंशानुगत सम्पति पायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा

जहाँ प्रेम निस्वार्थ न होगा
दिल बहलाने का सामान समझा जायेगा
और किसी के बरसों का समर्पण
कोई पल में ठुकरा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा

कलयुग में धर्म और नेकी का नाम तो होगा
पर बहुत विरले ही पाया जायेगा
जो धर्म  की राह पर चलेगा
उसे पागल समझा जायेगा
राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा...



अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 












Kalyug Hindi poetry On today's Life Kalyug  Hindi poetry On today's Life Reviewed by Archana7p on September 18, 2019 Rating: 5

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