Poetry

Rukmani ki Vyatha Hindi Poetry On Spirituality

Hindi Poetry On Spirituality



हिंदी आध्यात्मिक कविता


रुक्मणि की व्यथा




श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई
न मीरा ही  कहलाई
न राधा सी तुझको भायी
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई

न रहती कोई कसक
मन में
जो मैं सोचती सिर्फ
अपनी भलाई
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई

सहने को और भी
गम हैं
पर कोई न लेना पीर
परायी
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई


न कोई खबर न कोई
ठोर ठिकाना
बहुत देखी तेरी
छुपन छुपाई
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई

लोग लेते तुम्हारा नाम
राधा के साथ
मीरा को जानते हैं
तुम्हारा भक्त और
दास
किसी को रुकमणी
की मनोस्थिति नज़र न आई
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई

तेरी हो के भी तेरी
नहीं
सिर्फ अर्धांगिनी हूँ
प्रेमिका नहीं
कभी जो सुन लेते
तुम मेरी दुहाई
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई

सब तूने रचा सब
तेरी ही  लीला है
फिर किस से कहूँ
तेरी चतुराई
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई
न मीरा ही  कहलाई
न राधा सी तुझको भायी
श्याम तेरी बन के
मैं बड़ा पछताई


अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास"





Rukmani ki Vyatha Hindi Poetry On Spirituality  Rukmani ki Vyatha Hindi Poetry On Spirituality  Reviewed by Archana7p on October 15, 2019 Rating: 5

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