Poetry

Kuch Dil Ki Suni Jaye Hindi Poetry on Ignored Desires

Hindi Poetry on  Ignored Desires



उपेक्षित इच्छाओं पर हिंदी कविता


कुछ दिल की सुनी जाये 



चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 

 एक लिस्ट बनाते हैं  
अधूरी कुछ आशाओं  की
उस लिस्ट की हर ख्वाहिश 
एक एक कर पूरी की जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 

कोई क्या सोचेगा 
कोई क्या कहेगा 
इन बंदिशों से परे हो के 
थोड़ी सांसें आज़ाद हवा 
में ली जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 

बहुत रोका मैंने बहते मन की 
रफ्तारों को 
अब बहाव की ही दिशा में 
अपनी नाँव खींची जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 


मैं जानती हूँ सबके जीवन में 
कुछ अधूरा रह गया होगा 
कभी ज़रूरत तो कभी प्यार की 
खातिर अपनी इच्छा 
की अवहेलना न की जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 

क्या पता किसी से 
एक बार मिलना रह गया हो 
किसी से कुछ कहना  रह गया हो 
मुद्दतों तरसा किये जिस मौके 
की तलाश  में 
उस इंतज़ार की मोहलत कुछ 
कम की जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये

दिया है जीवन एक 
ही उस खुदा ने 
कही आखिरी सांस 
पर कोई इच्छा दिल में 
ही न दबी रह जाये 
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये 

चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर
कुछ दिल की सुनी जाये 
कुछ मन की करी जाये



  अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 




Kuch Dil Ki Suni Jaye Hindi Poetry on Ignored Desires  Kuch Dil Ki Suni Jaye Hindi Poetry on  Ignored Desires  Reviewed by Archana7p on November 05, 2019 Rating: 5

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