Poetry

Mere Mitra Hindi poetry On Friendship


Hindi poetry On Friendship


दोस्ती पर हिंदी कविता


मेरे मित्र 



एक खुशबु सी बिखर जाती है
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 

जब भी मन विचलित होता है 
किसी अप्रिय घटना से 
घंटो सुनते रहते हैं वो मेरी बकबक 
चाहे रात हो या दिन 
मेरे फिक्र में रहते हैं वे
सदा उद्विग्न 
एक खुशबु सी बिखर जाती है 
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 

मैं उनसे अपने मन की कहता हूँ 
वो मुझे कभी तोलते नहीं 
मेरे राज़  किसी  और से बोलते  नहीं
हैं समझ में मुझसे परिपक़्व बहुत
पर उम्र मैं हैं वो मुझसे बहुत भिन्न 
एक खुशबु सी बिखर जाती है 
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 

मैं कभी जो झुंझला जाओ उनपे 
बेवजय यूँ ही 
वो मन छोटा कर मुझसे मुँह मोड़ते नहीं 
मैं उनको मना  ही  लाता हूँ 
चाहे वो मुझसे कितना 
भी हो खिन्न 
एक खुशबु सी बिखर जाती है
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र  


हमेशा साथ होते हैं जब भी मैंने 
पुकारा उन्हें 
जैसे मेरी दुःख तक़लीफों को साँझा करने 
भेजा हो ईश्वर ने 
कोई अलादीन का जिन्न 
एक खुशबु सी बिखर जाती है
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 

हमारे विचारो में हैं मत भेद बहुत 
फिर भी हृदय से हम नज़दीक बहुत 
एक दूसरे की दोस्ती पे कभी न रहता 
कोई प्रश्न चिन्ह 
एक खुशबु सी बिखर जाती है
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 

माता पिता ने दिया जीवन हमें
जिसका मैं सदा ऋणी  रहूंगा 
पर मित्रों के बिन जीवन की कल्पना 
न कर सकूंगा 
जन्म से जुड़ा रिश्ता तो सब पाते हैं 
पर मेरे जीवन का वे  
हिस्सा हैं अभिन्न 
एक खुशबु सी बिखर जाती है
मेरे इर्द गिर्द 
जब याद आते हैं  मुझे मेरे मित्र 


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उद्विग्न :- बेचैन , व्याकुल 
अभिन्न:- बहुत करीब या जिसे बांटा या अलग न किया जा सके


अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 

  










Mere Mitra Hindi poetry On Friendship  Mere Mitra  Hindi poetry On Friendship Reviewed by Archana7p on September 16, 2019 Rating: 5

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