Poetry

Udhar Ki zindagi Hindi Poetry Satire

Hindi Poetry Satire



 हिंदी कविता व्यंग्य


उधार की ज़िन्दगी (एक व्यंग्य)




आओ दिखाऊं तुम्हें अपनी चमचमाती कार
जिस के लिए ले रखा है मैंने उधार 

दिखावे और प्रतिस्पर्धा में घिर चूका हूँ ऐसे 
समझ में नहीं आता कब कहा और कैसे 
किसी के पास कुछ देख के 
लेने की ज़िद्द करता हूँ एक बच्चे के जैसे 
और फिर पूरा करता हूँ उधार के  पैसे 
कटवा के अपना वेतन हर बार 

आओ दिखाऊं तुम्हें अपना घर द्वार 
जिसके लिए मेरा रूआ रूआ है कर्ज़दार 
घर को सजा रखा  है मैंने ऐसे 
किसी राजा के राज महल जैसे 
इस ऊपरी छलावे से औरों को लुभाने के लिए 
मेरा वेतन ख़त्म  हो जाता है बीच महीने बार-बार

आओ दिखाऊँ तुम्हें अपना खाता विवरण 
जो है इस पूरी कविता का सार 
मैं बस कमाता रहा और शौक पे लुटाता रहा
 इस चक्कर में भूल गया जीना 
वो छोटी छोटी बात 
जिनसे कभी मन को खुश रखता था 
कभी दोस्तों में उठता बैठता तो 
कविता करता ,हास्य - व्यंग्य करता था 
आज जब कभी मिलते हैं दोस्त वो पुराने 
तो एक प्रतिस्पर्धा सी रहती है 
किसी जीवन में क्या नया है 
ये जानने की आतुरता रहती है 
 फिर ज़िद्द कर बैठता हूँ उस जीवन को अपनाने के लिए 
थोड़ा और क़र्ज़ ले कर अपने को सामानांतर दिखाने के लिए
ये ज़रूरी नहीं की उसकी सम्पन्नता उधार से आई  हो
 शायद उसने  वो कड़ी मेहनत  से कमाई हो 
कई दिन भूखा रहा हो तब जा के  रोटी खाई हो
न जाने कितने दिन धुप में तप के 
तब कही जा कर उस के सर पर छत आई हो 
इतना सब  कर के भी मैं रहता खुश नहीं 
क्योंकि मेरी कार और कोठी मेरा आंतरिक सुख नहीं 
क़र्ज़ तो चूक जायेगा पर ये पल फिर नहीं आएगा 

आओ सिखाऊँ तुम्हें जीवन के मंत्र चार 
जिससे होगा हम सब का उद्धार  
न लेना कभी कोई क़र्ज़ सिर्फ दिखावे के लिए
वरना उम्र लग जाएगी उसे  चुकाने के लिए 
और कहते फिरोगे 
"उम्र-ए-दराज़ माँग के लाये थे चार दिन
दो उधार में कट गए दो वेतन के इंतज़ार में "
 इसलिए दिखावे के जीवन का कर के बहिष्कार 
चलो मेरे यार,  थोड़ा ज़िन्दगी का क़र्ज़ ले उतार  
जिसे जीना भूल गया मैं लेकर क़र्ज़ हज़ार
लेकर क़र्ज़ हज़ार , लेकर क़र्ज़ हज़ार

क्षमा प्रार्थना :-  मैंने एक मशहूर शायर की शायरी में तोड़ फोड़ कर उसे अपनी रचना में उपयोग  किया है उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।


अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 

  



  

  





Udhar Ki zindagi Hindi Poetry Satire    Udhar Ki zindagi Hindi Poetry Satire Reviewed by Archana7p on September 14, 2019 Rating: 5

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