Poetry

Prabhu Vandana Hindi poetry on spirituality

Hindi poetry on spirituality


अध्यात्म पर हिंदी कविता


प्रभु वंदना



अब जो आया हूँ प्रभु आप की  शरण में
मुझे ऐसे ही आस्था में लिप्त रहने देना
जो भूल-चूक हो मेरी आराधना  में
उसे अपने ह्रदय से निकाल क्षमा कर देना

बहुत तरसता  रहा मैं मन की शांति को
भटकता रहा खिन्न स्वयं से
पर जब से शरण आपकी मिली
मिल गया जीवन को उसका अभिप्राय जैसे
अब जो आया हूँ प्रभु आपकी शरण में
मुझे इस मार्ग से भटकने न देना

जीवन मेरा अपूर्ण था बिन परिवार के
माँ की ममता भाई पिता के दुलार से
पर जब से आपको समर्पित किया मैंने
कोई अपूर्णता न रही हो जैसे
अब जो आया हूँ  प्रभु आपकी शरण में
मुझे अपना परिवार समझते रहना

पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म इनका मुझे ज्ञान नहीं
लोभ- चिंता, दुःख , कर्म फल इनसे मैं अछूता नहीं
मेरे कर्मों  से किसी की भावना को आघात न हो
ऐसा  मेरा मार्ग दर्शन करते रहना
जैसे रखा है मुझ पर हाथ  आपने
वैसे ही अपनी कृपा सब पर बनाये रखना
अब जो आया हूँ  प्रभु आपकी शरण में
मुझे अपना परिवार समझते रहना


मेरी प्रार्थना है जीवन मेरा कष्टपूर्ण ही सही
पर सदा तत्पर रहूँ मैं किसी लाचार की सेवा को
कोई खाली न जाये मेरे द्वार से
बस इतना प्रबंध करते रहना
अब जो आया हूँ प्रभु आपकी शरण में
मेरी ये प्रार्थना  स्वीकार करते रहना

अब जो आया हूँ प्रभु आप की  शरण में
मुझे ऐसे ही आस्था में लिप्त रहने देना
जो भूल-चूक हो मेरी आराधना  में
उसे अपने ह्रदय से निकाल क्षमा कर देना



अर्चना की रचना  "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास" 





Prabhu Vandana Hindi poetry on spirituality   Prabhu Vandana Hindi poetry on spirituality Reviewed by Archana7p on September 14, 2019 Rating: 5

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