महिला सशक्तिकरण / बेटी बचाओ पर हिंदी कविता
नारी होना अच्छा है
नारी होना अच्छा है पर उतना आसान नहीं
मेरी ना मानो तो इतिहास गवाह है
किस किस ने दिया यहाँ बलिदान नहीं
जब लाज बचाने को द्रौपदी की
खुद मुरलीधर को आना पड़ा
सभा में बैठे दिग्गजों को
शर्म से शीश झुकाना पड़ा
किसने दिया था अधिकार उन्हें
अपनी ब्याहता को दांव लगाने का
खेल खेल में किसी स्त्री को यूँ नुमाइश बनाने का
था धर्मराज, तो कैसे अपना पति धर्म भूला बैठा
युधिष्ठिर इतना तो नादान नहीं
नारी होना अच्छा है पर उतना आसान नहीं
जब त्याग किया श्री राम ने जानकी का
एक धोबी के कहने पर
अग्नि परीक्षा दे कलंक मिटाया
ऊँगली उठते अस्तित्व पर
चौदह वर्षो का वनवास भी इतना कठिन न था
जब अपरहण किया रावण ने तो वो भी इतना निष्ठुर न था
उस पल जानकी पे क्या बीती
इसका किसी को पश्चाताप नहीं
नारी होना अच्छा है पर उतना आसान नहीं
ये सुब तो हुआ उस युग में
जब कलयुग का आगमन भी न था
स्त्री की दशा में अंतर न कलयुग में है
न सतयुग में था
आज तो फिर भी स्त्री हर क्षेत्र में
बराबरी की दावेदार है
फिर भी ऐसा क्यों लगता है
की अब भी कोई दीवार है
चाहे जितना भी पढ़ा लो
चाहे जितनी ऊंचाइयां पा लो
आज भी एक दुःशाशन हर
गली में वस्त्र हरण को तैयार है
आये दिन सुनते रहते हैं
किसी दुर्योधन दुःशाशन के बारे में
जिनसे बच पाना किसी "दामिनी" के लिए आसान नहीं
नारी होना अच्छा है पर उतना आसान नहीं
विकृत पागल प्रेमी द्वारा
मैंने क्षत विक्षत चेहरे देखे
है कसूर उनका बस इतना के वो इस रिश्ते को तैयार नहीं
संतावना तो हर कोई देता है पर कोई साथ देने तैयार नहीं
नारी होना अच्छा है पर उतना आसान नहीं
रोज़ सुबह मैं समाचारो में
ऐसी खबरें पाती हूँ
मैं बेटी हो कर भी इस जग में
बेटी बचाओ के नारे लगाती हूँ
यही प्रार्थना करती हूँ ईश्वर से
के कोई दिन ऐसा भी देखूँ
जब समाचारो में कोई दहेज़ उत्पीड़न, बलात्कार , अपरहण
का नामो निशान नहीं
जहाँ नारी होना अच्छा है और किसी वरदान से कम नहीं
और किसी वरदान से कम नहीं।।।
अर्चना की रचना "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास"
अर्चना की रचना "सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास"
Nari Hona Accha Hai Hindi Poetry On Women empowerment/save girl
Reviewed by Archana7p
on
September 10, 2019
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